शोध में बताया: हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का कोरोना के मरीजों पर अच्छा असर, मृत्यु दर में भी कमी आई
सेहतराग टीम
हाल ही में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर शोध किया गया। जिसमें बताया गया कि अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को अगर जिंक सप्लीमेंट के साथ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को दिया जाए तो इससे काफी मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, जिंक सप्लीमेंट और एंटीबायोटिक्स Azithromycin को देने से कोरोना के मरीजों के मरने का खतरा कम हो जाता है। लेकिन इन दवाओं के इस्तेमाल से मरीजों के हॉस्पिटल में रहने की अवधि या वेंटिलेटर या ऑक्सीजन की जरूरत कम नहीं होती है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसार शोध के परिणाम बेहतर हैं लेकिन और अधिक अध्ययन की आवशयकता है। यूनिवर्सिटी ने कहा कि इस कॉम्बिनेशन को लेकर क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत है।
यह अध्ययन 932 मरीजों पर दो मार्च से 5 अप्रैल तक परीक्षण किया गया। इनमें से आधे मरीजों को जिंक सल्फेट, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin दिया गया। बाकी आधे लोगों को केवल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin दिया गया। परीक्षण से पता चला कि जिन मरीजों को जिंक सल्फेट, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin दिया गया उनमें दूसरे समूह की तुलना में ठीक होने की दर 1.5 गुना ज्यादा रही। इसके अलावा मरने की दर में भी बदलाव देखा गया। मरने की दर भी 44 प्रतिशत कम रही। यही नहीं ऐसे मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की दर भी कम रही। अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin पर रिसर्च शुरू करने जा रही है।
हालांकि ब्राजील के वैज्ञानिकों ने तो मलेरिया की इस दवा के इस्तेमाल पर ही रोक लगा दी थी। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को प्रयोग के तौर पर यह दवा दी गई, उनमें से एक चौथाई को हार्ट की दिक्कत आ गई।
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